मैं उन दिनों अपने चाचा के यहां आई हुई थी। मैं एम ए की छात्रा थी। चाचा बिजनेस के सिलसिले में कुछ दिनों के लिये दिल्ली गये हुए थे। चाची घर पर ट्यूशन पढाती थी। चाची का नाम गीता था। उनकी उम्र 35 वर्ष की थी। उसके पास कोलेज दो के छात्र पढने आते थे। श्याम और मोन्टी नाम था उनका। दोनो ही 20 - 21 वर्ष के थे। मुझे पहले दिन से ही वो हाय हेल्लो करने लगे थे। उन दोनों से मेरी जल्दी ही दोस्ती हो गयी थी। ऊपर का कमरा खाली था सो गीता उन्हे वहीं पढाया करती थी।
Indian Group Sex Stories
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Thursday, March 13, 2014
कोठे कि सफ़र
बात उन दिनों की है जब मुंबई में दंगे चल रहे थे। पुणे में भी कुछ दिनों के लिए बस सर्विस बंद थी। मैं उन दिनों पुणे के लिए एक बस में चली। बस में मेरी बगल में उषा नाम की आंटी बैठी थीं। उषा आंटी से मेरी अच्छी जान पहचान हो गई। बस बड़ी धीरे सफर कर रही थी। शाम के 2 बजे बस ख़राब हो गई। बस वाले ने कहा अब बस नहीं चलेगी। पुणे ४० किमी दूर था। बस में मैं और आंटी ही अकेली औरतें थीं। मैं घबरा रही थी बस में कुछ गुण्डे टाइप लोग भी थे जो रास्ते भर हमें गंदे गंदे इशारे कर रहे थे। आंटी मुझसे बोली- मैंने टैक्सी बुलाई है, तुम पुणे तक साथ चल सकती हो लेकिन उसके आगे रास्ते बंद हैं। मैं खुश हो गयी, मैंने कहा- आंटी मैं आपके साथ रुक जाऊंगी।
में और पति के सारे फ्रैण्ड
मैं ३४ साल की शादीशुदा औरत हूँ. मेरे पति बिज़नस के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते हैं. कुछ दिन पहले की बात है मेरे पति दो दिन के लिए घर से बाहर गए हुए थे और मैं घर में अकेली टीवी पर ब्लू फ़िल्म देख रही थी. ब्लू फ़िल्म देख देख कर मेरी चूत में से पानी आने लगा था. मेरा मन कर रहा था कि कोई मज़ेदार लंड मिल जाए तो जी भर के चुदाई करवाऊं. वो कहते हैं ना कि सच्चे दिल से मांगो तो सब कुछ मिलता है. घर की कॉल बेल बजी तो मुझे लगा कि भगवान् ने मेरी सुन ली. मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि मेरे पति के ख़ास दोस्तों वर्मा और गुप्ता बाहर खड़े थे.
तीनो का संगम
करन और रमेश मेरे अच्छे दोस्तों में थे। हम तीनों अक्सर शाम को झील के किनारे घूमने जाते थे. मुझे करन ज्यादा अच्छा लगता था. उसमे सेक्स अपील ज्यादा थी. उसमें मर्दों जैसी बात थी.
पर रमेश साधारण था...बातें भी कम करता था. हम तीनो हम उमर थे. मैं करन के बदन को मन में नंगा करने की कोशिश करती थी और सोचती थी की उसका लंड कैसा होगा. जब खड़ा होता होगा तो कैसा लगता होगा. कैसी चुदाई करता होगा. कुछ दिनों से मैंने महसूस किया कि करन भी मुझ में खास दिलचस्पी लेने लगा है। रमेश की नज़रें तो मैं पहचान ही गई थी। रमेश तो मन ही मन में शायद मुझे प्यार करता था. पर बोलता कुछ नहीं था.
पर रमेश साधारण था...बातें भी कम करता था. हम तीनो हम उमर थे. मैं करन के बदन को मन में नंगा करने की कोशिश करती थी और सोचती थी की उसका लंड कैसा होगा. जब खड़ा होता होगा तो कैसा लगता होगा. कैसी चुदाई करता होगा. कुछ दिनों से मैंने महसूस किया कि करन भी मुझ में खास दिलचस्पी लेने लगा है। रमेश की नज़रें तो मैं पहचान ही गई थी। रमेश तो मन ही मन में शायद मुझे प्यार करता था. पर बोलता कुछ नहीं था.
Thursday, February 6, 2014
पति कि बेवफ़ाए
मेरी शादी हुए करीब दस साल हो गये थे। इन दस सालों में मैं अपने पति से ही तन का सुख प्राप्त करती थी। उन्हें अब डायबिटीज हो गई थी और काफ़ी बढ़ भी गई थी। इसी कारण से उन्हें एक बार हृदयघात भी हो चुका था। अब तो उनकी यह हालत हो गई थी कि उनके लण्ड की कसावट भी ढीली होने लगी थी। लण्ड का कड़कपन भी नहीं रहा था। उनका शिश्न में बहुत शिथिलता आ गई थी। वैसे भी जब वो मुझे चोदने की कोशिश करते थे तो उनकी सांस फ़ूल जाती थी, और धड़कन बढ़ जाती थी। अब धीरे धीरे रणवीर से मेरा शारीरिक सम्बन्ध भी समाप्त होने लगा था। पर अभी मैं तो अपनी भरपूर जवानी पर थी, 35 साल की हो रही थी।
मेरी जवानी
मेरा नाम है रेहाना उम्र पच्चीस साल, अमृतसर, पंजाब की रहने वाली हूँ, पांच फ़ुट पांच इंच कद, तीखे से नयन नक्श, गुंधा हुआ जिस्म, कहर ढहाने वाली छाती जो मेरी ख़ूबसूरती में सबसे ज्यादा हाथ रखती हैं। जवानी से लेकर स्कूल, कॉलेज में मैं अपनी छातियों के लिए मानी जाती थी। हर लड़की मुझे कॉम्प्लीमेंट करती कि काश मेरी छाती साधना जैसी गोल होती तो मैं लड़कों की जान निकाल देती ! हर मर्द देख दिल पर हाथ रख लेता !
बीवी को बलवीर से चुदवाया
मेरी बीवी करीब 22 साल की, बहुत सुन्दर, पढ़ी लिखी और भोली भाली महिला है और मैं अक्सर चुदाई के बीच सोचता रह जाता हूँ कि काश उसे कोई और चोद रहा हो और मैं उसे चुदता देखूँ।
धीरे धीरे पता नहीं कब यह ख्वाहिश इतनी मजबूत हो गई कि मैं रात दिन इसी प्लानिंग में लगा रहता। डरता भी था कि कैसे हो कि
मेरी शादीशुदा जिन्दगी भी बनी रहे मैं उसे इतना प्यार भी तो करता हूँ।
धीरे धीरे पता नहीं कब यह ख्वाहिश इतनी मजबूत हो गई कि मैं रात दिन इसी प्लानिंग में लगा रहता। डरता भी था कि कैसे हो कि
मेरी शादीशुदा जिन्दगी भी बनी रहे मैं उसे इतना प्यार भी तो करता हूँ।
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